Saturday 25 June 2011

ये तेरा बिल, ये मेरा बिल, ये बिल बहुत ......


प्र: आपके लोकपाल बिल का ड्राफ्ट कमजोर कहा जा रहा है. इसमे प्रधानमंत्री, नौकरशाह, जज इत्यादि को बाहर रखा गया हैं.

उ: देखीये ये ए़कदम गलत बात है. हमारा ड्राफ्ट भ्रष्टाचार के विरूद्ध एक मजबूत कदम है और ये आम जनता के लिए है.

प्र: कैसे?

उ: कैसे? मैं आपसे पुछता हूं, आम आदमी जीवन में किसके द्वारा किये गए भ्रष्टाचार से प्रभावित होता है.

प्र: किसके?

उ: अरे भाई, दूधवाले, किरानेवाले, धोबी, कामवाली बाई, पानीपुरी वाले भैयाजी, ऑटो रिक्शावाला, पानवाला, देशीदारू की दुकान वाला इत्यादी. इन सबको हमने लोकपाल के घेरे में रखा है.

प्र: विस्तार से बतायेंगे?

उ: देखीये दूधवाला पानी मिलाये, किरानेवाला अनाज में कंकड-पथ्थर, कामवाली ज्यादा पगार की मांग करे या साहब को ब्लैक मेल करे. पानीपुरी में यदि पानी कि जगह कोई और तरल पदार्थ पाया जाये, ऑटोवाला घर तक ना छोड़े, पानवाला पान में तंबाकू कम डाले और देशी दारू में मजा न आये तो इनके विरूद्ध लोकपाल से शिकायत की जा सकती है, और कड़ी से कड़ी कार्यवाही की अपेक्षा भी की जा सकती हैं.

प्र: पर जो बड़े घोटाले और घोटालेबाज हैं उनका क्या?

उ: उनका क्या? अरे भाई, टेलीकॉम घोटाले, कॉमनवेल्थ खेल घोटाला, आदर्श घोटाला, बोफोर्स घोटाला, विदेशों में जमा काला-धन, सांसदों कि खरीद फरोख्त, हवाला कांड, मधुकोड़ा कांड, तेलगी प्रकरण इत्यादि से आम आदमी का क्या सम्बन्ध है, बताइये. ये तो हमारा अपना आपसी मामला है, जिसे हम अंदर-अंदर समझ लेते है. इसीलिये इन लोगो को लोकपाल के नीचे लाने का कोई मतलब नही क्योकि ये सब तो लोर्ड पाल हैं, और इनको पाल कर यदि हमारी थोड़ी कमाई हो जाती है, तो मैं पूछता हूं, जनता को इससे क्या कष्ट है. और एक बात मैं उन लोगो को भी बताना चाहता हूं, जो ये कहते हैं के हमारी पार्टी में लोकतंत्र नहीं है. हमारी पार्टी एक लोकतान्त्रिक पार्टी है, हम सब बराबर बाँट कर खाते हैं.
पीयूष 

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